जीवन बेला सुवास सुरभित 

दुर्दम में भी जिजीविषा अदम्य 

शुष्क उछाहों में सदैव 

अपनी मृदुल भावना से पूरित 

प्रसारित करता  भीनी - भीनी

सुगंधि सरस अबूझ का कोई 

अदृश्य हाथ प्यारा दे जाता 

बिखरे मन को कठिनाइयों में 

सहारा अंधकुँओं से हमें निकाल 

सत्पथ ज्योति दिखलाता वह हमारे  

आसपास हमारे अंतर्मन में ही रहता

सच्चे मन से ही जो अनुभूत होता

वह हमारा कृष्ण प्यारा !

 

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